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सफलता की कहानी-बबीता देवी

1.      किसान का नाम     :-       श्रीमति बबीता देवी

2.      पिता/पति का नाम  :-       श्री बिपिन दास

3.      3.      पता                   :-       ग्राम/मुहल्लाडोकली, पंचायतबाबूडीह

                                                                 प्रखंडसोनोथानासोनोजिलाजमुई ,(बिहार)

4.      किसान का प्रकार   :-       सीमान्त

 

                        श्रीमति बबिता देवी, जमुई जिले में सोनो प्रखंड के डोकली गॉंव की स्थायी निवासी हैं, श्रीमति का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। ये अपने माता, पिता, छोटे भाई एवं बहनों के साथ रहती थी, तथा इनकी शादी का लगभग 15 वर्ष हो गये थे, परन्तु आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अपना एवं बच्चों का पालन पोषण करने में कठिनाई हो रही थी। इनके पति के पास खेती योग्य भूमि हैं, पर स्थिति दयनीय रहने एवं जानकारी के अभाव में खेती भी अच्छे ढंग से नहीं हो पा रही थी।

                        गॉंव में चल रहे परमपरांगत तरीके से धान, गेहूँ, चना, मक्का इत्यादी की खेती होती थी। एक दिन सोनो, प्रखंड के डोकली में कृषि विभाग/आत्मा तथा कृषि विज्ञान केन्द्र, के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें गॉव के सभी जागरूक किसानों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिए। कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिको के द्वारा खेती के सन्दर्भ में अवगत कराया गया। नई तकनीक, उन्नत बीज,
समय से बुआई, सिचाई एवं उचित देखरेख से फसल की अच्छी तथा गुणवतापूर्ण उपज ली जा सकती हैं। आत्मा के प्रखंड तकनीकी प्रबंधक/सहायक तकनीकी प्रबंधक के द्वारा बताया गया कि आत्मा (कृषि विभाग) से कृषक/कृषक समूहों को राज्य के अंदर और राज्य के बाहर कृषि/कृषि के सभी क्षेत्रो में प्रशिक्षण एवं परिभ्रमण हेतु भेजा जाता है, फिर इनके सीखने की ललक को देखते हुए, आत्मा, जमुई के द्वारा इनके गॉंव में संगम स्वंय सहायता समूह (महिला खाद्य सुरक्षा) का गठन किया गयाजिसमे इनका सदस्य के रूप में चयन हुआ. इनको अर्न्तराजीय (नाशिक, कृषि मेला) राज्यस्तरीय (गाँधी मैदान पटना, एग्रो बिहार कृषि मेला) एवं जिलास्तरीय (हरदी मोड़ खैरा, जमुई मशरूम उत्पादन) प्रशिक्षण एवं परिभ्रमण आदि कार्यक्रम में भेजा गया और इनको तथा समूह में मशरूम स्पॉन, फर्मलीन, कार्बेन्डाजिम एवं पॉलिथीन बैग ईत्यादी आत्मा,
जमुई के द्वारा दिया गया। आत्मा के प्रखंड तकनीकी प्रबंधक/सहायक तकनीकी प्रबंधक से मशरूम उत्पादन के बारे में सम्पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर मशरूम की अच्छी उत्पादन करने लगी। इस कारण इनकी आर्थिक स्थिति मशरूम उत्पादन एवं अन्य फसलो के द्वारा सुढृढ़ हो गयी। कृषक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनायी डोकली ग्राम और आसपास की महिला कृषको,
युवाओं,
गृहणीयों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गयी। मशरूम की खेती को आय की अच्छी स्त्रोत और पोषक आहार के लिए उन्नत बतातें हुए,
हर घर मशरूम की खेती की लोकप्रियता को बढ़ाती गयी। आत्मा से जुड़कर ये सुखी
जीवन जी रही हैं।