1. किसान का नाम – श्रीमती शकुन्तला देवी
2. पिता/पति का नाम – श्री सुरेश मंडल
3. पुरा पता – ग्राम- फतेहपुर, पंचायत – जामुखरैया, थाना+प्रखंड- झाझा, जिला-जमुई।
4. किसान का प्रकार – सीमान्त
सफलता की कहानी के पूर्व का संक्षिप्त विवरण
श्रीमति शकुन्तला देवी , पति- सुरेश मंडल, ग्राम- फतेहपुर, पंचायत- जामुखरैया प्रखंड झाझा का निवासी है। इनके परिवार में माता पिता एंव इनके दो संतान है। ये अपने बच्चों को पढाती है। परिवार की सारी जिम्मेवारी इस पर निर्भर थी। ये मजदुरी करके अपने परिवार का भरन पोसन करती है चुकि ये एक सिमांत किसान है। खेती से सालभर का गुजारा नही हो पाता था। अपने परिवार की खुशहाली के लिए बहुत चिंतित रहती थी। खेती से ये सिर्फ साल में 2 बार फसल बेचकर ही मुनाफा कमाते थी। पंचायत जामुखरैया में आत्मा पदाधिकारीयों द्वारा आम सभा का आयोजन किया गया था इस कार्यक्रम में शकुन्तला देवी भी उपस्थित थी। कार्यक्रम का संचालन प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, श्री पुष्पेन्द्र नाथ एवं सहायक तकनीकी प्रबंधक द्वारा किया गया था। इस कार्यक्रम में उद्यान, कृषि एवं वानिकी प्रणाली, कृषकहित समुह एवं कृषि से संबंधित योजनाओं से अवगत कराया गया। इसी का लाभ उठाकर इन्होने एक समुह का निर्माण किया। जिसका नाम माँ शारदा स्वंय सहायता समूह रखा एंव उन्नत खेती भी की एवं आय में भी बृद्वि प्राप्त किया।
सफलता की कहानी
श्रीमति शकुन्तला देवी जब आत्मा कर्मियो के सर्म्पक में आई तो उसको खेती के प्रति रूचि में अधिकता आ गयी एवं उन्होने आस-पास के किसानों से विचार विर्मश किया और सभी कृषक बन्धुओं ने आत्मा कर्मियों से मिलकर आम सभा का सफल आयोजन किया गया। जिसमें प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, श्री पुष्पेन्द्र नाथ एवं सहायक तकनीकी प्रबंधक, मो0 सरताज एवं साकेत उपस्थित थे। आम सभा में कृषक बंधुओं ने यह निर्णय लिया कि आत्मा द्वारा एक समूह का निर्माण करेगें एवं कृषि संबंधित नयी-नयी तकनीकों जो आत्मा पदाधिकारीयो द्वारा दी जाएँगी उसका लाभ लेगें और आधुनिक खेती करेगें। इसके फलस्वरूप कृषक बन्घुओ नें एक समूह का निर्माण आत्मा द्वारा किया और इस समूह का नाम माँ शारदा स्वंय सहायता समूह रखा।
श्रीमति शकुन्तला देवी ने अपने 1.25 एकड जमीन पे इन्होने उद्यानकृषि एवं वानीकी पर खेती की। इन्होने उद्यान, कृषि एवं वानीकी के लिए विभिन्न कृषि घटकों का इस्तेमाल किया जिसमें धान्य फसलें (रबि/खरिफ), बागवानी फसलें, चारा उत्पादन, सागवान की खेती के लिए किया । 50 प्रतिशत भूमि (0.6 एकड) के लिए इन्होने धान्य फसलों के लिए रखा। 20 प्रतिशत हिस्से में इन्होने बागवानी फसलें ली। इसमें इन्होने भिंन्डी, विन्स, मकई, बैंगन, पपिता एवं कदूवर्गीय सब्जी की खेती की इन्होने 5 प्रतिशत हिस्से मे चारा फसल उत्पादन किया जिसमें इन्होने मक्का, नेपियर घास को शामिल किया। शेष भुमि पर इन्होने बकरी पालन, गौपालन, एवं मशरूम उत्पादन किया। श्रीमति शकुन्तला देवी कहती है। कि जब से हम ने उद्यानकृषि एवं वानीकी अपनायी है। तब से हमारें आय में बृद्धि हृई। इससे पहले हमें सिर्फ रवि फसल एवं खरिफ फसल के बिकने पर ही पैसे मिलते थें। लेकिन अब हमें सालोभर आमदनी होती है। उद्यानकृषि एवं वानीकी पद्धति अपनाने सें आस पास के किसान भी इसे देखकर इसका लाभ उठा रहें है। श्रीमति शकुन्तला देवी बताती है कि ये अपना उत्पादन झाझा बाजार में बेचते है एवं मुनाफा कमाते है। वे अपनी जीवन में पहले से ज्यादा खुशहाल है।
श्रीमति शकुन्तला देवी कहती है कि पहले मेरी सालाना आमदनी लगभग 45000 रू0 ही थी जव से मैं आत्मा के पदाधिकारीयो के संम्पर्क में आयी और एक समूह का निर्माण करवाया उस समूह का मैं भी सदस्य थी तब से मेरी सालाना आय लगभग 2.15 लाख रू0 हो गयी। मेरी सालाना आय में लगभग 4 गुणी वृद्वि हो गयी। मैनें आत्मा के पदाधिकारियो के द्वारा बतलायी गई नयी-नयी तकनीक पर काम किया। मैनें अपने खेतो में FYM और हरी खाद का प्रयोग किया। मैने रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल कम कर दिया। जिससे मेरे खेत की जल धारण क्षमता बढ गई। खेतो की उर्वरा शक्ति बढ गई क्योकि मेरे क्षेत्र में जल की बहुत समस्या है। श्रीमति शकुन्तला देवी बताती है कि मेरी खेती को देख कर आस-पास के किसानो में भी वैज्ञानिक खेती करने की उत्साह बढ गई है और वो भी वैज्ञानिक तरीके से खेती करना चाहते है और आत्मा पदाधिकारीयो के सर्म्पक में रहते है। श्रीमति शकुन्तला देवी कहती है कि मै आत्मा के पदाधिकारीयो का दिल से धन्यवाद करना चाहती हूँ। जिन्होंने मुझे वैज्ञानिक तरीके से खेती करना सिखाया। मैं विशेष कर आत्मा के परियोजना निदेशक महोदय का दिल से आभार व्यक्त करती हॅूँ।