सफलता की कहानी
कहानी का विषय/शीर्षक – सब्जी एवं मशरूम उत्पादन शुद्ध आय का एक विकल्प
1. किसान का नाम:- अजीत कुमार झा
2. पिता /पति का नामः- जयप्रकाश नारायण झा
3. पूरा पता:- ग्राम+पंचायत- मौरा, प्रखंड-गिद्धौर, जिला -जमुई।
4. मोबाइल नम्बरः- 9304828587
5. किसान के पास खेती योगय भूमि (हे0 में):- 0.48
6. सिंचित क्षेत्र भूमि (हे0 में) :- 0.40
7. असिंचित क्षेत्र भूमि (हे0 में) :- 0.08
8. किसान का प्रकार :- सीमान्त किसान
9. सफलता की कहानी के पूर्व का संक्षिप्त विवरण – (स्वयं अथवा समूह/संगठन के संबंध में जानकारी, पूर्व के क्षेत्र/कार्य एवं आर्थिक स्थिति का विवरण)
मैं अजीत कुमार झा, पिता श्री जयप्रकाश नारायण झा, ग्राम+पंचायत मौरा का निवासी हूँ। जब मैने आत्मा द्वारा आयोजित कौशल विकाश प्रशिक्षण आत्मा मलयपुर से मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया तो मैने मशरूम मे पाये जाने वाले गुणों के बारे में जाना इसका प्रयोग औषधीय के रूप में भी किया जाता है। भारत वर्ष की अधिकांश आबादी शाकाहारी है, इस कारण भी मशरूम का महत्व पोषण की दृष्टि से बहुत अच्छा है क्योकि इसमें प्रोटीन, शर्करा, वसा, रेसा, विटामिन्स, खनिज तत्व के साथ-साथ लाइसीन एवं ट्रीफ्टोफेन नामक एमिनो एसिड पाया जाता है। विटामिन के साथ-साथ पौटेसियम, फास्फोरस तथा सुक्ष्म मात्रा में लोहा भी पाया जाता हैं जो मानसिक तनाव सें ग्रसित मरीजों के लिए फायदेमंद होता है इसमें वसा, र्स्टाच तथा कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम पाई जाती हैं। मशरूम को कृषि के विभिन्न अवशेषों पर उगाया जाता है जिसके कारण उन अवशेषों का भी सर्वोत्तम उपयोग हो जाता हैं तथा पर्यावरण प्रदूषण को कम करने मे भी सहायक होता है। इन सभी कारणों से मैने मशरूम उत्पादन करने का फैसला लिया तथा इसके उत्पादन के बाद मुझे ऐसा लगा कि पढाई के साथ-साथ इसका उत्पादन भी किया जाय तो कोई परेशानी नहीं होती है बल्कि इसके उत्पादन से आय भी प्राप्त किया जा सकता हैं तथा विद्यार्थी अपने पढाई का स्तर अच्छा कर सकता हैं।
10. सफलता की कहानी –
पिता श्री जयप्रकाश नारायण झा जो कि शुद्ध रूप से किसान है जब मैने आत्मा द्वारा दिया गया प्रशिक्षण मलयपुर स्थित आत्मा कार्यालय से लिया तो उनके विशेषज्ञांे ने मशरूम की बहुत सारी उपयोगिता एवं गुणवत्ता बताई मुझे लगा की धान, गेहँू से तो अच्छा है कि कम लागत में मशरूम की खेती की जाए तो मैने अपने घर में एक किलो स्पॉन मंगवाया, 10 बैग जैविक विधी से और 10 बैग रसायनिक विद्यि से करने के बाद मुझे अच्छी सफलता मिली और मैने बड़े पैमाने पर करने के लिए ठान लिया, मैने सोचा कि जब एक रूम में एक साइड से एक रैक पर 10 कोलम में 10 बैग रखा जा सकता है तो 05 रैक पर 50 बैग आ सकता है इस प्रकार एक रूम में अगर 250 बैग की व्यवस्था की जाए तब इनका फलन एक बार में 60 किलो ग्राम होगा जबकी मशरूम की तोड़ाई तीन बार होती है मशरूम को तीन बार तोड़ने पर कुल उत्पादन 180 किलो ग्राम होता हैं और 180 किलो ग्राम का दाम लगभग 36 हजार रू0 तक होता हैं। इस प्रकार मैं सालाना लगभग 1.5 लाख रूपये का आर्थिक लाभ मशरूम उत्पादन से प्राप्त कर रहा हूँ। जहा तक इसके बाजार का प्रश्न है तो इसकी भी कोई समस्या नही है क्योंकि अभी स्थानीय बाजार में इसकी मांग काफी अधिक है तथा आपूर्ति मांग की तुलना में काफी कम है इसलिए इसकी बिक्री की कोई समस्या मुझे नही होती है। इस प्रकार मशरूम की खेती करके आज मैं अपने आप को सफल महसुस कर रहा हूँ। मैं अपने जैसे अन्य नौजवान बेरोजगार साथियों को भी इसका उत्पादन करने की सलाह दूँगा।